बृहस्पति (गुरु) खाना नंबर 1 (Jupiter in First House) – Lal Kitab (लाल किताब) 1941
Episode – 01 | Astrologer Vijay Goel
लाल किताब 1941 की विवेचन शृंखला का ये मेरा पहला वीडियो है। इसमे मैंने “बृहस्पति खाना नंबर 1” (जब कुंडली के पहले घर मे बृहस्पति स्थित हो) के बारे मे विश्लेषण करने का प्रयास किया है। पहला घर पूर्व दिशा का कारक है।
पहले घर को लग्न भाव अथवा लग्न भी कहा जाता है। कुंडली का पहला घर हमें पिछले जन्मों में संचित किए गए अच्छे-बुरे कर्मों तथा वर्तमान जीवन में इन कर्मों के कारण मिलने वाले फलों के बारे में भी बताता है। यह घर व्यक्ति की सामाजिक प्राप्तियों तथा उसके व्यवसाय तथा जीवन में उसके अपने प्रयासों से मिलने वाली सफलताओं के बारे में भी बताता है।
पहले घर से व्यक्ति के वैवाहिक जीवन, सुखों के भोग, बौद्धिक स्तर, मानसिक विकास, स्वभाव की कोमलता अथवा कठोरता तथा अन्य बहुत सारे विषयों के बारे में भी जानकारी प्राप्त होती है। गुरु एक नैसर्गिक शुभ ग्रह है। पत्रिका में केवल इनकी शुभ स्थिति ही जातक के जीवन को संवार देती है। प्रथम भाव का बृहस्पति सामान्यत: उत्तम फल ही देता है।
जातक एक मनोहर व्यक्तित्त्व के स्वामी होता हैं, बलवान, दीर्घायु, स्पष्ट वक्ता, स्वाभिमानी, स्वभाव से उदार होता हैं। जातक ब्राह्मणों और देवताओं के प्रति श्रद्धा रखता हैं। दान और धर्म में भी गहरी आस्था होती है। जातक को घूमने फिरने का खूब शौक होगा। प्रथम भाव में गुरु (बृहस्पति) होने से जातक धनवान तथा बुद्धिमान होता है। लग्न का बृहस्पति कई मायनों में महत्वपूर्ण माना जाता है।
लग्न का बृहस्पति होने पर जातक लोगों में पहचान बनाने व कम साधनों में भी विकास करने की क्षमता रखता है। नई चीजें सीखने की ललक रहती है। ये विवेचना लाल किताब ज्योतिषियों के अलावा, भृगु नंदी नाड़ी ज्योतिषियों और वैदिक (पाराशर) ज्योतिषियों के लिए भी उपयोगी हो सकती है। वीडियो के बारें मे अपनी प्रतिक्रिया से अवगत अवश्य कराएं। लाल किताब 1941 का विस्तृत वॉल्यूम PDF फॉर्मेट मे प्राप्त करने के लिए व्हाट्सएप्प पर संपर्क करें। http://www.vijaygoel.net