बृहस्पति (गुरु) खाना नंबर 7 (Jupiter in Seventh House) – Lal Kitab (लाल किताब) 1941
Episode – 07 | Astrologer Vijay Goel
लाल किताब 1941 की विवेचन शृंखला का ये मेरा सातवाँ वीडियो है। इसमे मैंने “बृहस्पति खाना नंबर 7” (जब कुंडली केसप्तम घर मे बृहस्पति स्थित हो) के बारे मे विश्लेषण करने का प्रयास किया है।
खाना नंबर 7 पत्नी , रोजगार घर है और यहा गुरु को लाल किताब में गृहस्थ साधु, आवारा साधु, किताबे, दमा बोला गया है ।
जन्मकुंडली में सप्तम स्थान से विवाह का विचार किया जाता है| यह भाव निजी जीवन से संबंध रखता है। विवाह और पत्नी के अलावा ये घर ससुराल, प्रेम, भागीदारी और गुप्त व्यापार के लिये भी देखा जाता है
सातवां घर शुक्र का होता है, अत: यह मिश्रित परिणाम देगा। जातक का भाग्योदय शादी के बाद होगा और जातक धार्मिक कार्यों में शामिल होगा। घर के मामले में मिलने वाला अच्छा परिणाम चंद्रमा की स्थिति पर निर्भर करेगा। जातक देनदार नहीं हो सकता है लेकिन उसके अच्छे बच्चे होंगे। यदि सूर्य पहले भाव में हो तो जातक एक अच्छा ज्योतिषी और आराम पसंद होगा। लेकिन यदि बृहस्पति सातवें भाव में नीच का हो और शनि नौवें भाव में हो तो जातक चोर हो सकता है। यदि बुध नौवें भाव में हो तो जातक के वैवाहिक जीवन परेशानियों से भरा होगा। यदि बृहस्पति नीच का हो तो जातक को भाइयों से सहयोग नहीं मिलेगा साथ ही वह सरकार के समर्थन से भी वंचित रह जाएगा। सातवें घर में बृहस्पति पिता के साथ मतभेद का कारण बनता है। ऐसे में जातक को चाहिए कि वह कभी भी किसी को कपड़े दान न करे, अन्यथा वह बडी गरीबी की चपेट में आ जाएगा।
ये विवेचना लाल किताब ज्योतिषियों के अलावा, भृगु नंदी नाड़ी ज्योतिषियों और वैदिक (पाराशर) ज्योतिषियों के लिए भी उपयोगी हो सकती है। वीडियो के बारें मे अपनी प्रतिक्रिया से अवगत अवश्य कराएं। लाल किताब 1941 का विस्तृत वॉल्यूम PDF फॉर्मेट मे प्राप्त करने के लिए व्हाट्सएप्प पर संपर्क करें। http://www.vijaygoel.net/