कुंडली में गंभीर बीमारियों के योग
Critical Illness Yog in Horoscope
ज्योतिष में गंभीर बीमारियों के योग की जानकारी व्यक्ति के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण हो सकती है। बेहतर स्वस्थ्य के लिए ज्योतिष एक प्रभावी मार्गदर्शक होता है, जो संकेत देता है कि किसी व्यक्ति के जीवन में कितनी संभावित है कि वह गंभीर बीमारियों का सामना कर सकता है। वैदिक ज्योतिष में, गंभीर बीमारियों की संभावना को दर्शाने वाले कई योग हैं। यहां कुछ ऐसे गंभीर बीमारियों के योग हैं जो ज्योतिष में उल्लिखित हैं:
- रोग पिदित योग: इस योग में चंद्रमा, शुक्र, और केतु एक साथ किसी दुष्ट ग्रह के साथ होते हैं, और इससे व्यक्ति को गंभीर बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है।
- भृगु योग: इस योग में बृहस्पति और चंद्रमा एक साथ होते हैं और यह व्यक्ति को गंभीर रोगों की संभावना दिखा सकता है।
- केंद्रीय सूर्य योग: केंद्रीय सूर्य योग में सूर्य पहले, चौथे, सातवें, और द्वादश भाव में स्थित होता है, और यह व्यक्ति को सूचना बीमारियों की संभावना दिखा सकता है।
- व्याघात योग: इस योग में मंगल और शनि एक साथ पाप भाव में होते हैं, और इससे व्यक्ति को चिरकालिक या गंभीर चोट की संभावना होती है।
- रौद्र योग: इस योग में ग्रह मंगल, शुक्र, या राहु-केतु किसी अशुभ ग्रह के साथ होते हैं, और इससे व्यक्ति को आपसी युद्ध या गंभीर चोट की संभावना होती है।
- रुग्ण योग: इस योग में केतु और शुक्र किसी दुष्ट ग्रह के साथ होते हैं, और इससे व्यक्ति को बीमारियों की संभावना होती है।
- काल सर्प योग: काल सर्प योग में राहु और केतु सभी ग्रहों को घेरते हैं और इससे गंभीर बीमारियों की संभावना बढ़ सकती है।
- शनि के साथ दुष्ट स्थिति: शनि के दुष्ट स्थिति में शनि ग्रह के अशुभ प्रभाव से गंभीर बीमारियों की संभावना हो सकती है।
- चंद्र और शुक्र के साथ दुष्ट स्थिति: चंद्र और शुक्र के दुष्ट स्थिति में इन ग्रहों के अशुभ प्रभाव से गंभीर बीमारियों की संभावना होती है।
- रोगग्रस्त योग: इस योग में चंद्रमा, मंगल, और शनि किसी दुष्ट ग्रह के साथ पाप भाव में होते हैं, और इससे व्यक्ति को बीमारियों की संभावना होती है।
- गण्डमूल योग: गण्डमूल योग में राहु या केतु किसी ग्रह के साथ लगते हैं, और इससे गंभीर स्वास्थ्य समस्याएँ हो सकती हैं।
- पाप कर्तरी योग: इस योग में केतु और शनि एक ही भाव में होते हैं, और इससे व्यक्ति को गंभीर बीमारियों की संभावना होती है।
- ब्रह्महत्या योग: इस योग में चंद्रमा, शनि, और राहु या केतु किसी ग्रह के साथ होते हैं, और इससे व्यक्ति को गंभीर बीमारियों की संभावना होती है।
- काल योग: काल योग में शनि को लगते हैं, और इससे व्यक्ति को दुर्भाग्य और बीमारियों की संभावना होती है।
- अरिष्ट योग: इस योग में कुंडली में दो या दो से अधिक दुष्ट ग्रहों के संयोग होते हैं, और इससे व्यक्ति को गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं की संभावना होती है।
- ब्रह्मचर्य योग: इस योग में शुक्र और शनि के साथ किसी दुष्ट ग्रह के संयोग होते हैं, और इससे व्यक्ति को स्वास्थ्य समस्याओं की संभावना होती है।
- विपरीत ग्रह योग: इस योग में ब्रह्मा, विष्णु, महेश, और शनि किसी अशुभ ग्रह के साथ होते हैं, और इससे व्यक्ति को बीमारियों की संभावना होती है।
- ग्रहों की नीच राशि: ज्योतिष में, कुछ ग्रहों की नीच राशियों में स्थिति बीमारियों की संभावना को बढ़ा सकती है। इसके उपाय के लिए ज्योतिषज्ञ विशेष मंत्र और पूजा की सिफारिश कर सकते हैं।
- केंद्रीय ग्रहों के दुष्ट संयोग: कुंडली में केंद्रीय भावों में स्थित ग्रहों के दुष्ट संयोग व्यक्ति के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकते हैं।
- आरोग्य सूचक भावों में दोष: यदि जन्मकुंडली में आरोग्य सूचक भावों में दोष होता है, तो व्यक्ति को स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करने की संभावना होती है।
यह सभी योग व्यक्ति के जीवन में स्वास्थ्य से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं, लेकिन यह जरूरी है कि इन्हें सही संदर्भ में देखा जाए और उनका सच्चाई और महत्व निदान के लिए एक चिकित्सक से पुष्टि कराई जाए। ज्योतिष केवल एक दिशा मार्गदर्शक होता है और इसे एक स्वास्थ्य स्पेशलिस्ट की सलाह की तरह नहीं देखना चाहिए।