शुक्र खाना नं 4 (Venus in Fourth House) – Lal Kitab (लाल किताब) 1941 – EP40 – Astrologer Vijay Goel
लाल किताब 1941 की विवेचन शृंखला का ये मेरा चालीसवा वीडियो है। इसमे मैंने “शुक्र खाना नंबर 4” (जब कुंडली के चौथे घर मे शुक्र स्थित हो के बारे मे विश्लेषण करने का प्रयास किया है।
चौथे भाव का मालिक चन्द्रमा है। जो इस घर में उच्च फ़ल का भी है। यानी चन्द्रमा या गुरु किसी का भी चौथे भाव में होना शुभ फ़ल ही देता है। चौथे घर में हम अपने पिता की ओर से क्या प्राप्त करेंगे या पिता की स्थिति कैसी होगी हमे इस बात का संकेत मिलता है। इसके अलावा पिता के साथ हमारा संबन्ध कैसा होगा यह भी चौथे भाव से देखा जाता है। कुन्डली का चौथा भाव घर में पानी रखने का स्थान है। यह नल कुंआ आदि का भी कारक है। शारीरिक तौर पर हमारे शरीर में आयुर्वेदिक सिद्धान्तों के अनुसार सर्दी गर्मी या हमारे मन की शांति का चौथे घर से विशेष सम्बन्ध है।
यहां पर अशुभ ग्रह होने से मन की शांति पर बुरा असर पडता है। कई बार सब कुछ होते हुये भी व्यक्ति के मन की खुशी में विघ्न ही रहते हैं। यानी वह समस्या न होते हुये भी मुरझाये फ़ूल की तरह रहता है। तथा उसके जीवन में जद्दोजहद के हौसले में भी काफ़ी कमी आ जाती है। इस भाव के शुक्र के प्रभाव से जातक दीर्घायु, भाग्यवान, परोपकारी, विलासी प्रवृत्ति, ईश्वर में विश्वास, सभी से अच्छा व्यवहार करने वाला व पुत्रवान होता है। ऐसा जतक भवन-वाहन का पूर्ण सुख भोगता है। वह भूमि के साथ माता से भी लाभ प्राप्त करता है। अपने निवास व कार्यालय को भी भौतिक वस्तुओं से अपनी इच्छानुसार सजाता है। उसका गृहस्थ जीवन प्रायः शान्त ही होता है।
ये विवेचना लाल किताब ज्योतिषियों के अलावा, भृगु नंदी नाड़ी ज्योतिषियों और वैदिक (पाराशर) ज्योतिषियों के लिए भी उपयोगी हो सकती है। वीडियो के बारें मे अपनी प्रतिक्रिया से अवगत अवश्य कराएं।
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