शुक्र खाना नं 5 (Venus in Fifth House) – Lal Kitab (लाल किताब) 1941 – EP41 – Astrologer Vijay Goel
लाल किताब 1941 की विवेचन शृंखला का ये मेरा इकतालीसवा वीडियो है। इसमे मैंने “शुक्र खाना नंबर 5” (जब कुंडली के पांचवे घर मे शुक्र स्थित हो के बारे मे विश्लेषण करने का प्रयास किया है।
पंचम स्थान पर स्वामी जितने ग्रहों के साथ होगा, उतनी संतान होगी। जितने पुरुष ग्रह होंगे, उतने पुत्र और जितने स्त्रीकारक ग्रहों के साथ होंगे, उतनी संतान लड़की होगी। सप्तमांश कुंडली के पंचम भाव पर या उसके साथ या उस भाव में कितने अंक लिखे हैं, उतनी संतान होगी। एक नियम यह भी है कि सप्तमांश कुंडली में चँद्र से पंचम स्थान में जो ग्रह हो एवं उसके साथ जीतने ग्रहों का संबंध हो, उतनी संतान होगी। संतान सुख कैसे होगा, इसके लिए भी हमें पंचम स्थान का ही विश्लेषण करना होगा। पंचम स्थान का मालिक किसके साथ बैठा है, यह भी जानना होगा।
पंचम स्थान में गुरु शनि को छोड़कर पंचम स्थान का अधिपति पाँचवें हो तो संतान संबंधित शुभ फल देता है। इस भाव में शुक्र जातक को सुखी, सद्गुणी परन्तु भोग-विलास में लीन, विद्वान, ईश्वरवादी तथा सभी के साथ न्याय करने वाला बनाता है। ऐसा जातक काव्य व कलाप्रवृत्ति का, सट्टे-लाटरी के साथ प्रणय व्यापार में लाभ लेने वाला होता है। उसके बहु कन्या सन्तति होती है जो अत्यधिक सुन्दर व शालीन होती है। पुरुष राशि (मेष, मिथुन, सिंह, तुला, धनु व कंुभ) में होने पर पुत्र सन्तति ही होती है। परन्तु जीवनसाथी की पत्रिका के योग पर कन्या पुत्र के बाद हो सकती है। ऐसे जातक अपने जीवनसाथी के प्रति सम्मान व प्रेम रखते हैं।
ये विवेचना लाल किताब ज्योतिषियों के अलावा, भृगु नंदी नाड़ी ज्योतिषियों और वैदिक (पाराशर) ज्योतिषियों के लिए भी उपयोगी हो सकती है। वीडियो के बारें मे अपनी प्रतिक्रिया से अवगत अवश्य कराएं।
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