आपने कई बार सुना होगा कि बच्चे के पैर बड़े भाग्यशाली हैं। जब से आया है दिन दुगुनी रात चौगुनी हो रही है। कई बार यह बात उलट भी सुनी होगी। जाने कैसे पैर पड़े हैं घर में। जब से आया है तब से सब खराब है। प्रायः पंडितो से, ज्योतिषियों से यह प्रश्न किया जाता हैं कि बालक व बालिका किस पाये में जन्मी है।
ज्योतिष शास्त्र में जन्म के वक्त पैरों को लेकर विशेष वर्णन है। किसी भी जन्म कुंडली में बारह भाव होते हैं जिन्हें चार भागों में बांटा गया है। प्रत्येक भाग एक पाद या पैर कहलाता है। इन चारों पादों की धातु के अनुसार विवेचना की जाती है। पाद चार तरह के होते हैं। चाँदी का पैर, तांबे के पैर, सोने के पैर और लोहे के पैर। चंद्रमा ग्रह कुंडली के जिस भाव में मौजूद होता है उसे उसी के नाम से जाना जाता है। जानिए कौन सा पाद किस तरह का लाभ देता है।
पाया का प्रकार फल
चांदी का पाया : सर्वश्रेष्ठ
तांबे का पाया : श्रेष्ठ
सोने का पाया : सामान्य
लोहे का पाया : अनिष्ट
जन्म कुंडली में चन्द्रमा से पाये के बारे में जाना जाता है जन्म कुंडली में जिस भाव में भी चन्द्रमा हो उस भाव के अनुसार पाया निर्धारित किया जाता हैं जैसे 1(लग्न), 6, 11 भावों में चन्द्रमा हो तो सोने का पाया होता है 2,5,9 भावों में चन्द्रमा हो तो चांदी का पाया होता है 3,7,10 भावों में चन्द्रमा हो तो तांबे का पाया होता है और 4,8,12 भावों में चन्द्रमा हो तो लोहे का पाया होता हैं।

चिञ में गोल्ड रंग का चन्द्रमा :- सोने का पाया
चिञ में सिल्वर रंग का चन्द्रमा :- चांदी का पाया
चिञ में लाल रंग का चन्द्रमा :- तांबे का पाया
चिञ में काले रंग का चन्द्रमा :- लोहे का पाया
नक्षत्र अनुसार पाया (पैर) भी निर्धारण होता है. नक्षत्रानुसार इनका वर्गीकरण निम्न प्रकार से है –
1. स्वर्ण पाया (सोने के पैर) – रेवती से तीन नक्षत्र आगे यानि रेवती, अश्विनी और भरणी नक्षत्र में जन्म हो तो बालक के पाये स्वर्ण के माने जाते हैं.
2. लौह पाया (लोहे के पैर) – कृतिका से तीन नक्षत्र आगे यानि कृतिका, रोहिणी और मृगशिरा नक्षत्र का जन्म लौह पाया कहलाता है.
3. रजत पाया (चांदी के पैर) – आर्द्रा से बारह नक्षत्र आगे यानि आर्द्रा, पुनर्वसु, पुष्य, आश्लेषा, मघा, पूर्वाफाल्गुनी, उत्तराफाल्गुनी, हस्त, चित्रा, स्वाति, विशाखा और अनुराधा नक्षत्र में जन्म रजत पाया जन्म होता है.
4. ताम्र पाया (तांबे के पैर) – ज्येष्ठा से नौ नक्षत्र आगे तक का जन्म ताम्र पाया कहलाता है. जैसे ज्येष्ठा, मूल, पूर्वाषाढ़ा, उत्तराषाढ़ा, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद और उत्तराभाद्रपद.
नक्षत्र एवं चन्द्र से, चन्द्र से पाया विचार स्थूल माना जाता है लेकिन यह अधिक प्रचलित और व्यवहार में है।
चांदी का पाया –
रजत पाया सभी मायनो मे सही माना जाता है यह स्त्री जातक के लिये भी और पुरुष जातक दोनो के लिये श्रेष्ठ माना जाता है। व्यक्ति अपने मानसिक कारणो को सम्भालने उन्हे बेलेन्स करने के लिये अपनी योग्यता को जाहिर करता रहता है सभी प्रकार के कार्य जो उसके जीवन के लिये प्रभावी होते है वह लोक रीति से सामाजिकता से एक दूसरे के मानसिक प्रभाव को जल्दी समझ लेने से पूरा करता रहता है उसे अपने जीवन मे लोगो की बुरी सोच का परिणाम भी सफ़लता के लिये आगे बढाने वाला होता है वह किसी कार्य के गलत होने पर उसे शिक्षा के रूप मे मानता है माता के साथ सम्बन्ध अच्छे रहते है पिता का ही लगाव सही रहता है लेकिन बहिनो की संख्या और स्त्री संतान की अधिकता होना माना जाता है,इस पाये मे जन्म लेने वाले जातक पानी के किनारे रहने पानी सम्बन्धी काम करने मे सफ़ल होते है.
कुंडली में चांदी का पाया हो तो उसके जीवन में खुशहाली और सुख शांति रहती है सभी मनोरथ पूरे होंगे व समय पर सभी कार्य होते है जातक यश प्रतिष्ठा पाता है और अपनी माता को सुख देता है जातक भक्ति शक्ति पाने वाला होता है फिर भी आप राधा कृष्ण की उपासना करके सही मार्ग दर्शन में चलकर उन्नति कर सकते है
उपाय : यहाँ पर आप कुछ दान भी कर सकते है जैसे कि चांदी, दही, दूध, चावल, चीनी आदि सोमवार के दिन कर सकते है और शिव जी का ॐ नमः शिवाय का जाप अपने आप या किसी ब्राह्मण से करा सकते है।
रजत पाये वाले व्यक्ति को तीर्थ स्थानो मे जाते रहना चाहिये और तीर्थ स्थान के जल को अपने घर मे या सोने वाले कमरे मे ऊंचे स्थान पर रखना चाहिये माता के कष्ट को दूर करने के लिये रोजाना शिव स्तोत्र का पाठ करना चाहिये चांदी के पात्र मे पानी या दूध पीना चाहिये,हरे रंग के कपडो का अधिक प्रयोग करना चाहिये,ठगी चालाकी आदि के कामो से दूर रहना चाहिये।
तांबे का पाया –
ताम्र पाया तकनीकी दिमाग को प्रदान करने वाला होता है जातक बात का धनी होता है लम्बी आयु को जीने वाला होता है धन की कमी जातक को नही अखरती है वह अपने व्यवहार आदि से धन के क्षेत्र को कायम रखने वाला होता है खुद के लोग उस पर भरोसा करने वाले होते है जातक जो भी बात करता है उसे निभाने वाला होता है समय पर काम आने वाला होता है लेकिन अपने जीवन को दूसरो के प्रति बलिदान करने वाला भी होता है। जमीन जायदाद अचल सम्पत्ति और खनिज आदि कारको मे आगे बढता जाता है। भाइयों के लिये मित्रो के लिये और जान पहिचान वालो के लिये जीवन को बचाने वाला रोजाना की जिन्दगी मे अपने को आगे ही आगे बढाने वाला होता है। सन्तान सुख मे कमी रहती है लेकिन जो भी सन्तान होती है वह नाम कमाने वाली और परिवार का नाम रोशन करने वाली होती है मर्यादा मे तथा कायदे से चलने वाली होती है जीवन साथी से मतभेद होना और किसी न किसी बात पर आपसी कलह को भी होता देखा जाता है लेकिन जीवन साथी से दूरिया नही हो पाती है कुछ समय के लिये आपसी कलह तो हो सकती है लेकिन हमेशा के लिये नही माना जा सकता है जातक भोजन सम्बन्धी कारणो मे आगे रखने वाला होता है जातक का हाजमा भी सही होता है और जातक को भूख भी बहुत लगती है.तीखे भोजन मे जातक की अधिक रुचि होती है।
कुंडली में तांबे का पाया श्रेष्ठ माना गया है लेकिन जातक में थोड़ा सा तेजापन तो रह सकता है तब शांति व संयम से काम ले। वैसे सभी कार्य पुरे होंगे जब कभी कुछ रूकावट हो तो तांबे के लोटे से शिवलिंग पर जल चढ़ाये सुख शांति मिलेगी।
उपाय : यहाँ पर आप कुछ दान भी कर सकते है जैसे कि तांबे के बर्तन, लाल वस्तु, फल, फूल, मिठाई आदि। यहाँ पर आपको तांबे के बर्तन से पानी पीना शुभ रहेगा और देवी का पाठ करना शुभ रहेगा।
ताम्र पाये के दोष की शांति के लिये मन्दिरो मे या दान के स्थानो मे भोजन का दान करना चाहिये तांबे की कोई न कोई चीज अपने पास रखनी चाहिये भोजन मे मिर्च का अधिक प्रयोग नही करना चाहिये मीठा भी कम ही लेना चाहिये,भाइयों की सेवा करने से और मित्रो का सहयोग करने से भी इस पाये का दोष कम होता है।
सोने का पाया –
नक्षत्र का स्वर्ण पाया सही माना जाता है राशि का स्वर्ण पाया सही नही माना जाता है जो पाया स्त्री के लिये सुखकारी होता है वही पाया पुरुष के लिये हानिकारक माना जाता है। अगर राशि का पाया स्त्री का स्वर्ण है तो वह उत्तम माना जाता है और पुरुष केलिये स्वर्ण पाया राशि से खराब माना जाता है। पुरुष के स्वर्ण पाये मे जन्म लेने से या तो उसके जीवन में अल्प आयु का योग होता है या वह आजीवन अपने अहम और बुद्धिमान समझने के कारण आगे नही बढ पाता है इस कारण मे एक बात और भी देखी जाती है कि जातक को वास्तविक जीवन मे जाने के लिये माता पिता रोकते रहते है उसे गमले का पौधा समझकर पाला जाता है जातक का स्थानन्तरण होता रहता है इस प्रकार से व्यक्ति अपने सामाजिक पारिवारिक और व्यवहारिक जीवन को समझ नही पाता है फ़लस्वरूप वह एकान्त मे रहने वाला और अपने काम को खुद करने के बाद सफ़लता को नही लेने वाला होता है। सफ़लता के लिये जीवन की लडाई को लडना जरूरी होता है और जब जीवन की लडाई दूसरो के भरोसे से लडी जाती है तो कभी न कभी बडी असफ़लता हाथ ही लगती है.इस पाये के व्यक्ति को पिता का सुख कम मिलता है अपने पारिवारिक जीवन से जैसे चाचा चाची ताऊ ताई दादा दादी से दूरिया बनी रहती है।
उपाय : दोष दूर करने के लिए यहाँ पर आप सूर्य नारायण को जल देवे और गायत्री मंत्र का पाठ करे व दान करे जैसे की सोने, तांबा, कपड़ा, लाल फूल, मिठाई आदि रविवार को दान करे।
स्वर्ण के पाये मे जन्म लेने वाले जातक को सोने मे हरे रंग के नगीने पिरोकर गले मे पहिनना चाहिये जिससे उनके जीवन मे आहत होने वाले कारण कम होते है नारियल का दान देते रहना चाहिये,पिता की आयु की बढोत्तरी के लिये रोजाना सूर्य को अर्घ देना चाहिये पराये धन और स्त्री पुरुष से सम्बन्धो के मामले मे बचना चाहिये कारण इस पाये मे जन्म लेने वाले को यौन सम्बन्धी बीमारिया अधिक होती है,धारी वाले कपडे पहिनने से भी इस पाये का दोष कम होता है हाथ मे कलावा बांधने से भी दोष मे कमी होती है धार्मिक स्थानो मे जाना और माथा टेकते रहने से भी दोष कम होता है।
लोहे का पाया –
लोहे का पाया – कुंडली में लोहे का पाया होना अनिष्टकारी होता है सभी कार्यो में रूकावट या विघ्न आते है शरीर में रोग व कष्ट हो सकता है पिता को परेशानी होती है नेत्र रोग, पेट रोग और बुद्धि पर प्रभाव रहता है!
लोहे के पाये को खराब माना जाता है जातक या जातिका आलसी प्रवृत्ति के होते है चालाकी से काम करना एकान्त मे रहना मेहनत वाले काम करने के बाद केवल जीविका को चलाने के लिये माने जाते है दूसरो की सेवा करना और अपने श्रम के आधार पर ही जीवन को चलाना माना जाता है सन्तान भी आलसी होती है साथ ही जीवन मे कब पैदा हुये और कब मर गये इसका भी प्रभाव नाम और धन के क्षेत्र मे उजागर नही हो पाता है। माता पिता के लिये भी कष्टकारी होता है विद्या के क्षेत्र मे कमी रहती है विवाह आदि के क्षेत्र मे सरलता से जीवन नही चल पाता है जीवन साथी को एक प्रकार से जातक को ढो कर ले कर चलने वाली बात को माना जाता है वह बात चाहे अस्पताल सम्बन्धी कारण से बनी हो या जातक की अकर्मण्यता से मानी जाती हो जातक को शराब कबाब तामसी और नशे की आदते भी होती देखी जाती है नीचे लोगो से मित्रता और नीचे काम करने जुआ लाटरी सट्टा आदि के क्षेत्र मे अधिक रुचि देखी जाती है खेल कूद मे भी कम मन लगता है दूसरो को लडाकर खुद मजा लेने वाले लोग भी अधिकतर इसी पाये मे जन्म लिये हुये देखे गये है,हिंसा से बहुत अधिक प्रीति देखी जाती है दया भाव की कमी होती है ऐसे लोग अपने ही लोगो को ठग भी सकते है और धोखा भी देते देखे गये है।
उपाय : सुख शांति के लिए यहाँ पर आप कुछ दान भी कर सकते है जैसे कि लोहे का तवा, ताले आदि और बालक के वजन के अनुसार लोहे की वस्तु का दान शनिवार को करे जो दूसरे के काम आ सके और शनि देव का पाठ करे सुख मिलेगा।
लौह के पाये मे जन्म लेने वाले जातक को अपने वजन के बराबर का लोहा शनि स्थान मे दान करना चाहिये आलसी प्रभाव को रोकने के लिये मिर्च का अधिक सेवन करना चाहिये लेकिन काली मिर्च का सेवन ही सुखकारी होगा,आंखो की ज्योति को बढाने के लिये घी काली मिर्च और बतासे को आग मे पका कर रोजाना सुबह को प्रयोग मे लेना चाहिये तुलसी की पत्ती काली मिर्च और नीम की टांची को रोजाना बासी पेट लेने से भी इस पाये का दोष दूर होता है लोहे का छल्ला दाहिने हाथ मे स्त्री और पुरुष दोनो को मध्यमा उंगली मे पहिनने से भी परिवार की कलह और घर के मतभेद दूर होते है।
नोट :
जन्म कुंडली में चन्द्रमा जिस राशि का होता है या जिस भाव में होगा वही पाया का विचार किया जाता है। उसी से फल होगा, चलित चक्र से कोई प्रभाव नहीं होगा।