कुंडली में बनने वाले 10 प्रमुख राजयोग | 10 Significant Rajyog in Kundli
राज योग का अर्थ होता है कुंडली में ग्रहो का इस प्रकार से मौजूदहोना की सफलताएं, सुख, पैसा , और मान – सम्मान आसानी से प्राप्त हो। जिन लोगो की कुंडली में राज योग होता है, उन्हें सभी सुख सुविधाएं मिलती हैं और शाही जीवन व्यतित करते हैं।
1.लक्ष्मी योग – कुंडली के किसी भी भाव में चंद्र – मंगल का योग बन रहा है तो जीवन में धन की कमी नही आती हैं।
2.रुचक योग – मंगल केंद्र भाव में होकर अपने मूल त्रिकोण (पहला, पांचवा और नवा भाव), स्व्ग्राही ( मेष या वृश्चिक भाव मे हो तो) अथवा उच्च राशि (मकर राशि) का हो तो रुचक योग बनता हैं। रुचक योग होने पर व्यक्ति बलवान, साहसी, तेजस्वी, उच्च स्तरीय वाहन रखने वाला होता हैं। इस योग में जन्मा व्यक्ति विशेष पद प्राप्त करता हैं।
3. भद्र योग – बुध केंद्र में मूल त्रिकोण स्व्ग्राही (मिथुन या कन्या राशि में हो ) अथवा उच्च राशि (कन्या) का हो तो भद्र योग बनता हैं। इस योग से व्यक्ति उच्च व्यवसायी होता है। व्यक्ति अपने प्रबंधन, कौशल, बुद्धि – विवेक का उपयोग करते हुए धन कमाता है। यह योग समस्त भाव में होता है तो व्यक्ति देश का जाना माना उधोगपति बन जाता हैं।
4.हंस योग – बृहस्पति केंद्र भाव में होकर मूल त्रिकोण स्व्ग्राही (धनु या मीन राशि में हो) अथवा उच्च राशि (कर्क राशि) का हो तब हंस योग होता हैं। यह योग व्यक्ति को सुन्दर, हंसमुख, मिलनसार, विनम्र और धन – संपति वाला बनता हैं। व्यक्ति पुण्य कर्मो में रुचि रखने वाला, दयालु, शास्त्र का ज्ञान रखने वाल होता हैं।
5.मालव्य योग – कुंडली के केंद्र भावों में स्थित शुक्र मूल त्रिकोण अथवा स्वग्राही (वृष या तुला राशि में हो),या उच्च (मीन राशि) का हो तो मालव्य योग बनता है। इस योग से व्यक्ति सुन्दर, गुणी, तेजस्वी, धैर्यवन,धनी तथा सुख – सुविधाएं प्राप्त करता हैं।
6.शश योग – यदि कुंडली में शनि की खुद की राशि मकर या कुंभ हो या उच्च राशि (तुला राशि) का हो या मूल त्रिकोण में हो तो शश योग बनता हैं | यह योग समस्त भाव या दशम भाव में हो तो व्यक्ति अपार धन – संपति का स्वामी होता है। व्यवसाय और नौकरी के क्षेत्र में ख्याति और उच्च पद को प्राप्त करता हैं।
7.गजकेसरी योग – जिसकी कुंडली में शुभ गजकेसरी योग होता है, वह बुद्धिमान होने के साथ ही प्रतिभाशालि भी होता हैं। इनका व्यक्तित्व गंभीर व प्रभावशाली भी होता हैं | समाज में श्रेष्ठ स्थान प्राप्त करते है | शुभ योग के लिए अवश्यक है की गुरु व चंद्र दोनों ही नीच के नही होने चाहिए। साथ ही, शनि या राहु जैसे पाप ग्रहो से प्रभावित नही होना चाहिए।
8. सिंघासन योग – अगर सभी ग्रह दूसरे, तीसरे, छठे, आठवे, और बारहवे घर में बैठ जाए तो कुंडली में सिंघासन योग बनता है। इसके प्रभाव से व्यक्ति शासन अधिकारी बनता है नाम प्राप्त करता हैं।
9. चतु:सार योग – अगर कुंडली में ग्रह मेष, कर्क तुला उर मकर राशि में स्थित हो तो ये बनता हैं । इसके प्रभाव से व्यक्ति इच्छित सफलता जीवन में प्राप्त करता है और किसी भी समस्या से आसानी से बाहर आ जाता है।
10. श्रीनाथ योग – अगर लग्र का स्वामी, सातवे भाव का स्वामी दसवे घर में मौजूद हो और दसवे घर का स्वामी नवे घर के स्वामी के साथ मौजूद हो तो श्रीनाथ योग का निर्माण होता हैं। इसके प्रभाव से जातक को धन, नाम ताश, वैभव की प्राप्ति होती है।
कुंडली में राजयोग का अध्ययन करते समय अन्य शुभ और अशुभ ग्रहो के फलो का भी अध्ययन जरूरी हैं। इनके कारण राजयोग का प्रभाव कम या ज्यादा हो सकता है। कैसे राजयोग को मजबूत किया जा सकता है? अगर कुंडली में राजयोग हो और वो कमजोर हो तो नवरत्न की सहायता से मंत्र जप आदि करके भी जीवन को सफल बनाया जा सकता है। साथ ही यह बात भी ध्यान रखनी चाहिए की राज योग नही होने पर व्यक्ति बहुत सफल हो सकता है अगर कुंडली में ग्रह शुभ और शक्ति शाली हो।