कुंडली में विदेश यात्रा योग
Combinations for Foreign Travel in Kundli
जन्म कुंडली में बनने वाले विदेश यात्रा योग को लेकर अक्सर लोगों के मन में यह इच्छा होती है कि अपने जीवन काल में वह विदेश यात्रा अवश्य करें। वहीं कुछ लोगों की इच्छा सदा के लिए विदेश में जाकर के बस जाने की भी होती है| कुछ लोग विदेश घूमने के लिए जाना चाहते हैं, कुछ लोग जोविकोंपार्जन के लिए विदेश जाना चाहते है।
आज मैं बारह ऐसे योग बता रहा हूँ, जिनमे से अगर एक भी योग आपकी जन्मकुंडली में घटित हो रहा हो तो आप अपने जीवन काल में विदेश यात्रा अवश्य करेंगे।
कुंडली के बारहवें भाव से विदेश यात्रा के बारे में विचार किया जाता हैं, और छोटी मोटी यात्राओं के लिए कुंडली के भाग्य भाव को देखा जाता हैं। वही विदेश मे जा कर बसने के योग कुंडली के अष्टम स्थान से देखे जाते है। और वही कुंडली के स्वदेश भाव का विचार करना होता है चतुर्थ स्थान का लग्न का एकादश स्थान विचार देश यात्रा के लिए तो सप्तम और तृतीय भाव का विचार विदेश यात्रा के लिए करते हैं| शुक्र को मुख्य रूप से विदेश विदेश यात्रा अथवा हवाई यात्रा का कारक माना गया है जन्म कुंडली में शुक्र बलवान हो तो निसंदेह जातक हवाई यात्रा करता है| और शुक्र का संबंध यनि शुक्र उच्च के स्वराशि के हो करके कुंडली के बारह भाव मैं जा कर के बैठे हो | कुंडली के बारह भाव में शुक्र उच्च के अथवा स्वराशि के बैठे हो तो निसंदेह जातक अपने जीवन काल में हवाई यात्रा और विदेश यात्रा मुख्यतयह सूत्र मैं विदेश यात्रा के लिए कहूंगा जातक अपने जीवन काल मैं विदेश यात्रा अवश्य करता है | वही जन्म कुंडली में नवम स्थान का स्वामी यानी भाग्य भाव का स्वामी बारहवें भाव में जाकर बैठ जाए और बारहवें भाव का स्वामी नवम भाव में आकर बैठ जाए तो यह परिवर्तन है एक तरह से हो जाएगा इसको समझिए | बारहवें भाव का स्वामी नवम भाव में और नवम भाव का स्वामी जाकर के बारहवें भाव में बैठ जाए तो ऐसा जातक निसंदेह अपने जीवन काल में विदेश यात्रा करेगा।
हवाई यात्रा विदेश यात्रा मुख्यता यह सूत्र विदेश यात्रा के लिए देखा जाएगा। वही जन्म कुंडली में लग्न का स्वामी बलवान होकर के लग्नेश बलवान हो करके नवम स्थान में जाकर बैठ जाए| तो निसंदेह है जातक विदेश यात्रा करता है | कर्क लग्न की कुंडली है बारहवें भाव में यनी कुंडली के बारहवें भाव में राहु बैठे हुए हो नवम भाव का स्वामी यहां पर जो कुंडली का भाग्य भाव है | नवम भाव का स्वामी केंद्र अथवा त्रिकोण में जाकर के बैठा हो |तो जातक ने समझाया विदेश यात्रा करता है अगर यह योग आपकी कुंडली में है तो एक बार जीवन काल में विदेश यात्रा अवश्य अवश्य करेंगे।
वही एक दूसरे सूत्र में देखें | कुंडली में नवम भाव का स्वामी यदि भाग्य भाव का स्वामी दशम भाव में जाकर के बैठा हो | और दशम भाव का स्वामी नवम भाव में जा कर के बैठा हो तो परिवर्तन पूर्ण हो गया। इस तरह की स्थिति आपके जन्म कुंडली में बन रही है और आप आपकी इच्छा भी है विदेश जाने की तो तो निसंदेह आप विदेश यात्रा करें | वही एक और सूत्र सुनिए कुंभ लग्न की कुंडली हो यानी यह जो सूत्र मैं अब आपको बताने जा रहा हूं केवल कुंभ लग्न के जातकों के लिए है यानी जन्म लग्न में 11 नंबर लिखा हुआ हो | कुंभ लग्न की कुंडली हो लग्न में ही शनि बैठे हो तो लग्न में शनि बैठेंगे | तो लग्न में शनि बैठेंगे तो सीधी सी बात है महापुरुष योग बन जाएगा सस पुरुष योग और नवम भाव का स्वामी दशम भाव में हो तो भी जातक अपने जीवन काल में विदेश यात्रा अवश्य करता है यानी यह स्थिति आपके जन्म कुंडली में बन रही है तो यह सूत्र लागू होगा और विदेश यात्रा आप करेंगे | अब एक और सूत्र में समझिए इसको नवम भाव में यानी आपके भाग्य भाव मैं यहां पर मिथुन राशि हो तीन नंबर लिखा हो और मिथुन राशि मैं ही राहु बैठे हुए हो |
नवम भाव में लग्न के स्वामी कुंडली में जहां भी बैठे हो हम तो दृष्टि पड़ रही हो | किसकी राहु तो निसंदेह है आप विदेश यात्रा करेंगे अगर यदि यह सूत्र कुंडली में लागू होता है। तो यह विदेश यात्रा अवश्य करेगा लग्नेश केंद्र में हो यानी लग्न का स्वामी केंद्र में है वह तथा बारहवें भाव में कुंडली के बारवे घर मे उच्च के मंगल बैठे हो तो भी जातक अपने जीवन काल में अवश्य विदेश यात्रा करता है। यानी इस तरह की स्थिति हो तो जातक अपने जीवन काल में देर सवेर ही सही विदेश यात्रा अवश्य करता है । वही नवम भाव में एनी भाग्य भाव में शुक्र हो राशि कोई भी हो इससे ज्यादा मतलब नहीं है | और जब हां जब गृह बली होता है तो वह कहीं ज्यादा विशेष लाभ देने लगता है। तो नवम भाव में शुक्र हो और दशम भाव में नवम पति या यदि इस भाव की जो भी जो भी राशि आती है यहां कुंडली में इस भाव का स्वामी जाकर के 10वें भाव में बैठा हो। एकादश भाव मैं लग्न का स्वामी आ करके बैठ जाएं | तो भी यह जातक अपने जीवन काल में विदेश यात्रा अवश्य करता है।
वही एक और नवम भाव का स्वामी व द्वादश भाव का स्वामी यानी भाग्य यहां एक बात ध्यान रखिए जब भी आप विदेश यात्रा बात आएगी वहां पर भाग्य भाव साथ ही साथ 12 भाव का जिक्र ज्यादातर मामलों में आपको देखने को मिलेगा क्योंकि अगर यहां से कि नहीं पहले जैसा कि मैंने बताया | विदेश यात्रा कुंडली का बारवा भाव यहां से अगर गिरने 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 नवम बार-बार से दशम होने के कारण भाग्य भाव यानी जातक अपने कर्म के चलते हैं कर्म के कारण कार्य के लिए विदेश यात्रा करेगा अथवा कुंडली के भाग्य भाव से छोटे-मोटे विदेश यात्रा का विचार करता है और जैसा कि मैंने कहा पराक्रम भाव से यहां पर सभी केंद्र से बारवा भाव विदेश भाव बनता है पराक्रम से विदेश भाव दसवां घर बनने के कारण जातक कर्म करने के लिए धन कमाने के लिए विदेश यात्रा करता है।